Sadhana Shahi

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महाराणा प्रताप (कविता)प्रतियोगिता हेतु-09-May-2024

9 मई महाराणा प्रताप जन्म दिवस प्रतियोगिता हेतु

वीरता, शौर्य, पराक्रम के साक्षात थे मूर्ति, हवा भी इतनी तेज़ न होगी जितनी इनमें स्फूर्ति।

उदयजयवंता के आंँख के तारे भीलों के ये मीत, पाहन जैसे दृढ प्रतिज्ञ ये लगे घाम ना सीत।

अकबर चाहे अधीन बनाना उसकी दिली यह चाह, राजदूत को मिली निराशा ना किये कोई परवाह।

हल्दीघाटी युद्ध तना तब मेवाड़, मुगल- संग्राम, श्रेष्ठ राजपूत कहलाए हिंदू शिरोमणि अंजाम।

बड़ी विशाल अकबर की सेना मुट्ठी भर राजपूत, पग पीछे पर नहीं हटाए ऐसे अद्भुत दूत।

मुक्ति मंत्र के ये गायक थे अपराजित काल विधायक, साहस, शौर्य, पराक्रम इनका बड़ा ही मंगल दायक।

दुर्जेय राह पर चलकर ये आदर्शों को किए आलोकित, कूट भरी थी खुद्दारी विक्रमी तेज सभी राज्योचित।

शौर्य भूमि मेवाड़ धरा इनके जाए हुई धन्य, अजर,अमर,अनंत,अविनाशी प्रताप -प्रताप ना गण्य।

साधना शाही, वाराणसी

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1 Comments

kashish

10-May-2024 07:19 AM

Awesome

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